(Global मुद्दे) 11वें ब्रिक्स सम्मेलन 2019 के ध्येय (Aims of 11th BRICS 2019)
एंकर (Anchor): कुर्बान अली (पूर्व एडिटर, राज्य सभा टीवी)
अतिथि (Guest): विवेक काटजू (पूर्व राजदूत), संजय कपूर (वरिष्ठ पत्रकार)
चर्चा में क्यों?
बीते 13-14 नवंबर के बीच ब्राजील के ब्रासिलिया शहर में BRICS के 11वें सम्मेलन का आयोजन हुआ। भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी भी इस सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए ब्रासिलिया पहुंचे। सम्मेलन के बाद ब्रिक्स देशों ने एक संयुक्त घोषणा पत्र जारी किया। इस घोषाणा पत्र में ब्रिक्स देशों ने कहा कि व्यापार में तनाव और नीतिगत अनिश्चतता के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था नकारात्मक तरीके से प्रभावित हुआ है। इसे विश्वास, व्यापार, निवेश और वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव के रूप में देखा जा सकता है।
सम्मेलन की प्रमुख बातें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 नवंबर को ब्रिक्स बिजनेस फोरम में हिस्सा लिया। इसके अलावा सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री ने ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से द्विपक्षीय मुलाकातें भी कीं।
- ब्राजील में भारतीयों को वीजा-फ्री प्रवेश देने के फैसले पर पीएम मोदी ने राष्ट्रपति बोल्सोनारो का शुक्रिया अदा किया। साथ ही, उन्होंने बोल्सोनारो को 2020 के गणतंत्र दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि भारत आने का न्योता भी दिया। श्री बोल्सोनारो ने इस न्यौते को स्वीकार भी कर लिया।
- भारतीय प्रधानमंत्री मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के द्विपक्षीय मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं के बीच व्यापार, सुरक्षा और संस्कृति जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। पुतिन ने मोदी को अगले साल मॉस्को में होने वाले ‘विक्ट्री डे सेलिब्रेशन’ में आने के लिए भी न्योता दिया जिसे मोदी ने सहर्ष स्वीकार किया।
- मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात की। इस दौरान जिनपिंग ने मोदी को 2020 में चीन में होने वाले तीसरे अनौपचारिक शिखर सम्मेलन के लिए भी निमंत्रण दिया। हालांकि अभी इस अनौपचारिक शिखर सम्मेलन के लिए तारीखें और जगह नहीं तय की गई हैं। साथ ही, इस मुलाकात के दौरान सीमा विवाद और बढ़ते व्यापारिक अंतर जैसे मुद्दों को सुलझाने के उपायों की भी बात की गई।
क्या है यह ब्रिक्स?
दुनिया की पाँच सबसे तेज़ी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं - ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका - ने मिलकर एक समूह बनाया है। इसी समूह को ब्रिक्स कहा जाता है। दरअसल ब्रिक्स इन पांचों देशों के नाम के पहले अक्षर B, R, I, C, S के लिये प्रयोग किया जाने वाला एक संक्षिप्त शब्द है।
BRICS शब्द का जिक्र सबसे पहले साल 2001 में प्रसिद्ध अर्थशास्री जिम ओ’ नील द्वारा एक रिपोर्ट में किया गया था। इस रिपोर्ट में ब्राज़ील, रूस, भारत और चीन की अर्थव्यवस्थाओं के लिये विकास की बेहतर संभावनाएं व्यक्त की गई थीं। हालांकि उस समय इसमें केवल ब्राजील, रूस भारत और चीन - इन्हीं चार देशों की चर्चा की गई थी यानी शुरुआत में यह BRICS नहीं बल्कि BRIC था।
इसकी औपचारिक स्थापना जुलाई 2006 में रूस के सेंट्स पीटर्सबर्ग में जी-8 देशों के सम्मेलन के अवसर पर रूस, भारत और चीन के नेताओं की बैठक के बाद हुई। बाद में, सितंबर 2006 में न्यूयॉर्क में UNGA की एक बैठक के (बैठक से इतर) अवसर पर BRIC देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक हुई और इसी में BRIC की औपचारिक शुरुआत हुई।
पहले ब्रिक सम्मेलन का आयोजन 16 जून, 2009 को रूस के येकतेरिनबर्ग में हुआ था। दिसंबर 2010 में दक्षिण अफ्रीका को BRIC में शामिल होने का न्यौता दिया गया और इसे BRICS कहा जाने लगा।
ब्रिक्स का मक़सद
ब्रिक्स का मक़सद स्थायी और न्यायसंगत विकास के लिए ब्रिक्स देशों के अलावा अन्य देशों से भी सहयोग को व्यापक स्तर पर आगे बढ़ाना है।
- ब्रिक्स द्वारा यह ध्यान रखना कि इसके हर सदस्य की आर्थिक स्थिति और विकास में बेहतरी होती रहे।
- तमाम वित्तीय उद्देश्यों के साथ-साथ ब्रिक्स को एक नए और आशाजनक राजनीतिक-राजनयिक इकाई के रूप में बढ़ावा दिया जाए।
कितना महत्वपूर्ण है ब्रिक्स?
साल 2006 में अपने गठन के 13 साल बाद अब BRICS की अहमियत काफी बढ़ चुकी है। मौजूदा वक़्त में, BRICS में शामिल पाँच देशों की अर्थव्यवस्थाओं की दुनिया की कुल जनसंख्या में 42 फीसदी, वैश्विक जीडीपी का 23 फीसदी और वैश्विक व्यापार का करीब 17 फीसदी हिस्सेदारी है। ब्रिक्स को महत्त्वपूर्ण आर्थिक इंजन के रूप में देखा जा रहा है यानी यह एक उभरता हुआ निवेश बाजार और वैश्विक शक्ति है।
भारत के लिहाज से कितना अहम है ब्रिक्स?
भारत के लिहाज से ब्रिक्स एक अहम संगठन है, क्योंकि यह विकासशील देशों की उभरती हुई आवाज बन चुका है। दरअसल विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्थाओं को विकसित देशों के आक्रामक संगठनों से तगड़ी चुनौती मिलती रहती है। साथ ही, WTO और जलवायु परिवर्तन समेत कई दूसरे ऐसे मामले हैं जिनको लेकर विकासशील देशों को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इन परिस्थितियों में, भारत का यह मानना है कि BRICS ही ऐसा संगठन है जिससे विकासशील देशों के हितों को बचाया जा सकता है।
अमूमन BRICS देश आपस में दो तरह से सहयोग करते हैं, पहला- इसके नेताओं और मंत्रियों की बैठकों में पारस्परिक हितों के मसले पर परामर्श होती है। और दूसरा व्यापार, वित्त, स्वास्थ्य, शिक्षा, टेक्नोलॉजी, कृषि और आईटी जैसे मामलों पर इन देशों के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक कर सहयोगपूर्ण रवैये से काम किया जाता है। यह भारत के प्रयासों का ही नतीजा है कि आतंकवाद को लेकर ब्रिक्स का रुख पहले के मुकाबले काफी सख्त हुआ है। और इसकी वजह से आतंकवाद से निपटने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
ब्रिक्स के दो महत्वपूर्ण क़दम
साल 2014 में ब्रिक्स देशों ने मिलकर दो अहम वित्तीय संगठनों का निर्माण किया - पहला न्यू डेवलपमेंट बैंक और दूसरा आकस्मिक रिजर्व व्यवस्था।
न्यू डेवलपमेंट बैंक: इसकी स्थापना जुलाई 2014 में 100 अरब डॉलर की शुरुआती अधिकृत पूंजी के साथ की गई थी। मौजूदा वक्त में इसके महासचिव के. वी. कामत हैं और इसका मुख्यालय चीन देश के शंघाई शहर में है। इस बैंक को शुरू करने का मकसद इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए कर्ज उपलब्ध कराना है। दक्षिण अफ्रिका के जोहांसबर्ग में NDB का क्षेत्रीय कार्यालय बनाया गया है। जहां ब्रिक्स बैंक में इसके हर सदस्य के वोट का मूल्य एक बराबर है तो वहीं इसमें किसी भी सदस्य को वीटो का अधिकार नहीं दिया गया है।
आकस्मिक रिजर्व व्यवस्था (CRA): साल 2014 में ब्रिक्स देशों द्वारा ‘ब्रिक्स आकस्मिक रिजर्व’ व्यवस्था बनाने को लेकर एक सहमति बनी। CRA की स्थापना का मकसद ब्रिक्स देशों को वैश्विक तरलता दबाव के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करना है।
ब्रिक्स के सामने चुनौतियाँ
वैसे तो ब्रिक्स देशों का प्रमुख मकसद विकास और तमाम आर्थिक मुद्दों पर एक साथ काम करना है। लेकिन इसके सदस्य देशों के बीच तमाम ऐसे राजनीतिक मुद्दे हैं जो ब्रिक्स के मुख्य मकसद पर भारी पड़ जाते हैं। मसलन-
- भारत का चीन के साथ एक बड़ा व्यापारी घाटा और सीमा विवाद।
- कई मुद्दों पर चीन और पाकिस्तान की बढ़ती नजदीकियां जो भारत के लिहाज से हितकर नहीं है।
- ब्रिक्स का औपचारिक स्वरूप कैसा हो, इसका सचिवालय कैसे बने, इन सभी मुद्दों पर इसके सदस्य देश एकमत नहीं हो पा रहे हैं।
- समूह में नए सदस्यों को कैसे और कब जोड़ा जाए, इस विषय पर भी कोई साफ विचार नहीं है।
- अलग-अलग देशों में शासन की अलग-अलग व्यवस्थाएं होने के चलते भी सदस्य देशों के बीच मतभेद उभरकर सामने आते रहते हैं। जैसे भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में एक मजबूत लोकतांत्रिक व्यवस्था है तो वहीं पर चीन में साम्यवादी शासन है।
निष्कर्ष
साल 2021 का BRICS समिट भारत में ही होने वाला है। ऐसे में, ये
11वां सम्मलेन भारत के लिए अपनी जमीनी तैयारी को मजबूत करने का एक अवसर था।